Tuesday, January 13, 2015

BETET STET Shikshak Niyojan शिक्षक नियोजन SARKARI NAUKRI News - कैंप से नियोजन भी नहीं रोक पाया फर्जीवाड़ा

BETET  STET  Shikshak Niyojan शिक्षक नियोजन  SARKARI NAUKRI News - कैंप से नियोजन भी नहीं रोक पाया फर्जीवाड़ा


शिक्षक नियोजन

BETET  / STET / टीईटी / TET - Teacher Eligibility Test Updates / Teacher Recruitment / Shikshak Niyojan / शिक्षक नियोजन News
http://betet-bihar.blogspot.com/
http://naukri-recruitment-result.blogspot.com



कैंप से नियोजन भी नहीं रोक पाया फर्जीवाड़ा
Publish Date:Sat, 10 Jan 2015 09:13 PM (IST) | Updated Date:Sat, 10 Jan 2015 09:13 PM (IST)


खगड़िया,संवाद सूत्र: कहावत है तू डाल-डाल,मै पात-पात। शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्री पर बहाल की शिकायत को देखते हुए सरकार द्वारा नया रास्ता अख्तियार किया गया था। सरकार ने कैंप आयोजित कर नियोजन की प्रक्रिया अपनाने के आदेश दिए। इस आलोक में काफी सजगता से 2012 में कैंप आयोजित कर बहाली तो की गई,मगर अकेले परबत्ता प्रखंड में 27 अभ्यर्थियों के फर्जी तरीके से नियोजन होने का मामला सामने आने से सरकार की उस मंशा पर भी पानी फिर गया। ऐसे में योग्य अभ्यर्थी आज भी नौकरी पाने को लेकर परेशान हैं और शिक्षा माफियाओं को ऐसे अभ्यर्थियों पर थोड़ी भी तरस नहीं आ पाई।

कैसे हुआ खुलासा

डीएम को शिकायत मिली कि 17 अभ्यर्थियों का नियोजन फर्जी तरीके से कर लिया गया। डीएम द्वारा टीम का गठन कर जांच के निर्देश दिए गये। टीम में वरीय उपसमाहर्ता मुकेश कुमार सिन्हा द्वारा जांच बाद 7 जनवरी 2015 को डीएम को जो रिपोर्ट सौंपी गई, उससे स्पष्ट हो रहा है कि अन्य प्रखंडों के नियोजन में भी भारी पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ होगा।

जांच में क्या मिला

जांच में सामने आया कि कुंदन कुमारी का नियोजन यूआरएफ कोटि में किया गया। जबकि जिला शिक्षा पदाधिकारी के पत्रांक 668,12 अप्रैल 2013 के अनुसार अंतिम मेधा सूची में हिंदी अप्रशिक्षित में मेंधा क्रमांक-22 यानि कुंदन कुमारी को छोड़कर नियोजन करना था। दीपक कुमार झा मेधा क्रमांक 31 को यूआरएमएफ कोटि में नियोजन दिखाया गया है, जबकि प्रखंड नियोजन इकाई द्वारा जारी सूची में उसका नाम ही नहीं है। मेधा क्रमांक 670 गोपाल चौधरी का नियोजन यूआरएमएफ कोटि में किया गया, जो गलत है। सतीश आनंद मेधा क्रमांक 49 इवीसीएमएफ कोटि में नियोजन किया गया, जबकि दूसरे व तीसरे सूची में नाम ही नहीं थे। गौतम कुमार मेधा क्रमांक 7 का नियोजन अप्रशिक्षित में किया गया, परंतु प्रखंड के दूसरे व तीसरे सूची में इनका नाम ही नहीं था। ऐसे कई मामले जांच के दौरान सामने आया,जिससे शिक्षा माफिया के ताकत का पता चलता है।

बहरहाल, जांच रिपोर्ट से यह तो स्पष्ट हो ही गया है कि अधिकारियों व सरकार के तमाम सक्रियता के बाद भी शिक्षा माफियाओं की ताकत अधिक है और आगे भी जो नियोजन होना है उसमें भी फर्जीवाड़ा रोक पाने में अधिकारीगण सफल हो पाएंगे अथवा नहीं।

NEWS SOURCE : JAGRAN

No comments: