Saturday, July 20, 2013

RTE : शिक्षकों के लिए बेहतरीन लेख


RTE : शिक्षकों के लिए  बेहतरीन लेख 


बस स्टॉप पर एक बच्चा रो-रो कर कह रहा था, ममी मुझे स्कूल नहीं जाना। रोते-रोते वह उलटी करने लगा। मैंने उसकी मां से पूछा, इतना क्यों रो रहा है? 
उनका जवाब था, यह इसका रोज का नाटक है। स्कूल नहीं जाएगा तो कब तक मेरे पास रहेगा? 

मैंने सुझाया, नहीं, आप इससे धीरे-धीरे बहला-फुसला कर कारण पूछिए।
दो-चार दिनों के बाद जब वह महिला मिली, तो जो सुनाया, वह चौंकाने वाला था। बच्चे ने उन्हें बताया था कि उसकी मैडम होमवर्क नहीं करके लाने पर धमकी देती थीं कि मैं तुम्हें चूहा बना दूंगी। फिर एक अलमारी के पास ले जाकर रूई भरे चूहे दिखातीं और कहतीं, देखो काम न करने वाले बच्चों को मैंने चूहा बना कर रखा हुआ है। कभी-कभी शोर मचाने पर बच्चों के मुंह के पास स्टैप्लर ले जाकर उनके होंठ स्टेपल कर देने की धमकी भी देतीं।
उनींदी आंखों वाले, भूखे पेट, शिशुओं को किसी तरह ठेल-ठाल कर, बस न मिस हो जाए - इस भागमभाग में मां-बाप की हर सुबह बीतती है। उनके किसी खासव्यवहार के पीछे क्या कारण होसकता है, इस पर गौर करने की फुर्सत ही नहीं मिलती। सहमे हुए बच्चे अक्सर घर पर भी कुछ नहीं बता पाते हैं और स्कूल जाने का विरोध करने के लिए वे जो कुछ करते हैं, उन्हें हम बहानेबाजी समझते हैं।
मासूम बच्चों के प्रति कुछ अध्यापकों का व्यवहार बाल-मनोविज्ञान के एकदम विपरीत होता है। बच्चों का आत्म-सम्मान कम तीखा नहीं होता। शारीरिक सजा की आज के एजुकेशनसिस्टम में कोई जगह नहीं है। पर दंड देने के दूसरे तरीके कितने अपमानजनक और हीनभावना पैदा करने वाले हैं। कहीं पर होमवर्क न करने पर पूरी क्लासके बीच बच्चे की निकर उतारने की धमकी ही नहीं दी जाती, कपड़ा नीचे कर दिया जाता है। रोज का यह ड्रामा हेडमास्टर तक पहुंचाया जाए तो बच्चे को टी.सी. यानी स्कूल छोड़ने का तोहफा मिल जाता है।
आज स्कूल में सिर पर कूड़ादानरख कर कोने में खड़ा करना आम बात है। बच्चों की बुद्धि, रूप आकार को केंद्र बनाकर गैंडे की खाल, कुत्ते की दुम, डफर और कछुए का खिताब बच्चों की बुद्धि को सचमुच कुंद कर देता है। बड़े होकर वे या तो विदोही बन जाते हैं या अपने में सिमट कर रह जाते हैं।
वयस्क होने पर भी कई बार लोग चूहा, बिल्ली, छिपकली, कॉकरोच आदि को देखते ही चीखने लगते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि ये जीव तो स्वयं मनुष्य से डरते हैं और उनका आकार हमारे आकार से कितना छोटा है।
ऐसे लोगों से बारीकी से पूछा जाए तो इस डर का छोर सुदूर अतीत में बचपन तक जाता है। एक बच्चे के दादा अपनी बात मनवाने के लिए प्राय: उसके मुंह में कॉकरोच डालने के लिए उसके पीछे भागा करते थे। इसी तरह हर भय के पीछे छुटपन की कहानी है। एक महिला अपने ही घर में अपनी अलमारी खोलने से डरती थी। उसका विश्लेषण किया गया तो पता लगा कि बचपन में उसे डराने के लिए अलमारी में कोई भयानक पुतला रखा जाता था।
बच्चों को सुलाने के लिए मांएं अक्सर बंदर, भालू, शेर की आवाजें निकालती हैं। भूत का डर दिखाती हैं। अंधेरे में अकेला छोड़ देने का डर दिखातीहैं। ऐसे बच्चे जिंदगी भर अंधेरे से डरते हैं। भूतों की दुनिया में विश्वास करने लगते हैं। कुछ अध्यापक और मां-बाप बच्चों में हीन भावना पैदा करने के दोषी होते हैं। यदि दो भाई बहन (छोटे-बड़े) एकही स्कूल में पढ़ते हों और संयोग से एक पढ़ाई में तेज हो तो उनके टीचर कमजोर बच्चे को ताना देते हैं, 'तुम बड़े से कुछ सीखो। निकम्मे हो तुम।' घर में भी यही दोहराया जाता है।
ऐसा बच्चा अपने को नाकारा समझने लगता हैं। दूसरे, भाई से नफरत करने लगता है। तीसरे, पढ़ाई से उसका मन हट जाता है।
बी.एड. में बाल मनोविज्ञान पढ़ाया जाता है. कार्यशालाएं करवा कर बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अध्यापक समुदाय को जागरूक बनाने की जरूरत है।
PR AAJ KAL TO LOG PAISA SE B.ED KI DEGREE KHAREEDTE HAI....

RTE : शिक्षकों के लिए बेहतरीन लेख


RTE : शिक्षकों के लिए  बेहतरीन लेख 


बस स्टॉप पर एक बच्चा रो-रो कर कह रहा था, ममी मुझे स्कूल नहीं जाना। रोते-रोते वह उलटी करने लगा। मैंने उसकी मां से पूछा, इतना क्यों रो रहा है? 
उनका जवाब था, यह इसका रोज का नाटक है। स्कूल नहीं जाएगा तो कब तक मेरे पास रहेगा? 

मैंने सुझाया, नहीं, आप इससे धीरे-धीरे बहला-फुसला कर कारण पूछिए।
दो-चार दिनों के बाद जब वह महिला मिली, तो जो सुनाया, वह चौंकाने वाला था। बच्चे ने उन्हें बताया था कि उसकी मैडम होमवर्क नहीं करके लाने पर धमकी देती थीं कि मैं तुम्हें चूहा बना दूंगी। फिर एक अलमारी के पास ले जाकर रूई भरे चूहे दिखातीं और कहतीं, देखो काम न करने वाले बच्चों को मैंने चूहा बना कर रखा हुआ है। कभी-कभी शोर मचाने पर बच्चों के मुंह के पास स्टैप्लर ले जाकर उनके होंठ स्टेपल कर देने की धमकी भी देतीं।
उनींदी आंखों वाले, भूखे पेट, शिशुओं को किसी तरह ठेल-ठाल कर, बस न मिस हो जाए - इस भागमभाग में मां-बाप की हर सुबह बीतती है। उनके किसी खासव्यवहार के पीछे क्या कारण होसकता है, इस पर गौर करने की फुर्सत ही नहीं मिलती। सहमे हुए बच्चे अक्सर घर पर भी कुछ नहीं बता पाते हैं और स्कूल जाने का विरोध करने के लिए वे जो कुछ करते हैं, उन्हें हम बहानेबाजी समझते हैं।
मासूम बच्चों के प्रति कुछ अध्यापकों का व्यवहार बाल-मनोविज्ञान के एकदम विपरीत होता है। बच्चों का आत्म-सम्मान कम तीखा नहीं होता। शारीरिक सजा की आज के एजुकेशनसिस्टम में कोई जगह नहीं है। पर दंड देने के दूसरे तरीके कितने अपमानजनक और हीनभावना पैदा करने वाले हैं। कहीं पर होमवर्क न करने पर पूरी क्लासके बीच बच्चे की निकर उतारने की धमकी ही नहीं दी जाती, कपड़ा नीचे कर दिया जाता है। रोज का यह ड्रामा हेडमास्टर तक पहुंचाया जाए तो बच्चे को टी.सी. यानी स्कूल छोड़ने का तोहफा मिल जाता है।
आज स्कूल में सिर पर कूड़ादानरख कर कोने में खड़ा करना आम बात है। बच्चों की बुद्धि, रूप आकार को केंद्र बनाकर गैंडे की खाल, कुत्ते की दुम, डफर और कछुए का खिताब बच्चों की बुद्धि को सचमुच कुंद कर देता है। बड़े होकर वे या तो विदोही बन जाते हैं या अपने में सिमट कर रह जाते हैं।
वयस्क होने पर भी कई बार लोग चूहा, बिल्ली, छिपकली, कॉकरोच आदि को देखते ही चीखने लगते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि ये जीव तो स्वयं मनुष्य से डरते हैं और उनका आकार हमारे आकार से कितना छोटा है।
ऐसे लोगों से बारीकी से पूछा जाए तो इस डर का छोर सुदूर अतीत में बचपन तक जाता है। एक बच्चे के दादा अपनी बात मनवाने के लिए प्राय: उसके मुंह में कॉकरोच डालने के लिए उसके पीछे भागा करते थे। इसी तरह हर भय के पीछे छुटपन की कहानी है। एक महिला अपने ही घर में अपनी अलमारी खोलने से डरती थी। उसका विश्लेषण किया गया तो पता लगा कि बचपन में उसे डराने के लिए अलमारी में कोई भयानक पुतला रखा जाता था।
बच्चों को सुलाने के लिए मांएं अक्सर बंदर, भालू, शेर की आवाजें निकालती हैं। भूत का डर दिखाती हैं। अंधेरे में अकेला छोड़ देने का डर दिखातीहैं। ऐसे बच्चे जिंदगी भर अंधेरे से डरते हैं। भूतों की दुनिया में विश्वास करने लगते हैं। कुछ अध्यापक और मां-बाप बच्चों में हीन भावना पैदा करने के दोषी होते हैं। यदि दो भाई बहन (छोटे-बड़े) एकही स्कूल में पढ़ते हों और संयोग से एक पढ़ाई में तेज हो तो उनके टीचर कमजोर बच्चे को ताना देते हैं, 'तुम बड़े से कुछ सीखो। निकम्मे हो तुम।' घर में भी यही दोहराया जाता है।
ऐसा बच्चा अपने को नाकारा समझने लगता हैं। दूसरे, भाई से नफरत करने लगता है। तीसरे, पढ़ाई से उसका मन हट जाता है।
बी.एड. में बाल मनोविज्ञान पढ़ाया जाता है. कार्यशालाएं करवा कर बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अध्यापक समुदाय को जागरूक बनाने की जरूरत है।
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BETET : शिक्षक नियोजन: प्रथम चरण के बाद जिप में 179 सीट खाली


BETET : शिक्षक नियोजन: प्रथम चरण के बाद जिप में 179 सीट खाली


STET  / BETET / Shikshak Niyojan Bihar Teacher Recruitment / Plus 2 Shikshan Niyojan Recruitment  



- उच्च विद्यालयों में 106 अभ्यर्थियों ने किया योगदान

-जिले में हैं कुल 285 सीटें

जागरण प्रतिनिधि, जमुई : शिक्षक नियोजन के तहत जिला परिषद के उच्च विद्यालयों में प्रथम चरण के बाद 179 सीटें खाली हैं। जानकारी के अनुसार जिला परिषद की कुल 285 सीटों के विरुद्ध नियोजन प्रक्रिया के प्रथम चरण में 217 अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र भेजा गया था। जिसके बाद वर्तमान में 106 अभ्यर्थियों ने उच्च विद्यालयों में अपना योगदान दिया है। विभाग द्वारा सभी उच्च विद्यालयों से शिक्षकों के योगदान तथा त्यागपत्र देने का ब्यौरा विद्यालय वार एकत्र किया जा रहा है ताकि दूसरे चरण के शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया शुरु की जा सके। 217 अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र भेजे जाने के बाद 106 अभ्यर्थियों ने ही अपना योगदान दिया है जिस कारण जिला परिषद में 179 रिक्तियां शेष रह गई हैं।

प्रथम चरण के बाद विषयवार रिक्ति का ब्योरा

विषय सृजित वर्तमान में योगदान देने वालों

पद रिक्त पद की संख्या

हिन्दी 36 20 16

संस्कृत 33 19 14

अंग्रेजी 32 24 08

विज्ञान 39 22 17

गणित 36 25 11

एसएसटी 76 43 33

श. शिक्षा 07 03 04

उर्दू 26 23 03


News Sabhaar : Jagran (16,7,13)

Plus 2 Shikshak Niyojan : 15 अक्टूबर तक नियोजित होंगे प्लस-टू विद्यालयों में शिक्षक


Plus 2 Shikshak Niyojan : 15 अक्टूबर तक नियोजित होंगे प्लस-टू विद्यालयों में शिक्षक



STET  / BETET / Shikshak Niyojan Bihar Teacher Recruitment / Plus 2 Shikshan Niyojan Recruitment  


पटना : आगामी 15 अक्टूबर तक प्लस-टू शिक्षकों की नियोजन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा ने मंगलवार को बताया कि राज्य के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में सृजित कुल 41871 पदों के विरुद्ध प्रशिक्षित एवं माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (एसटीईटी) में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों से आवेदन लिए जा रहे हैं। 26 जुलाई तक नियोजन इकाइयों में आवेदन जमा होंगे।

प्रधान सचिव के मुताबिक एसटीइटी में 15 हजार अभ्यर्थी सफल हुए हैं। इसलिए खाली पदों के विरुद्ध उत्तीर्ण सभी संबंधित अभ्यर्थियों का नियोजन पूरा कर लिया जाएगा। फिलहाल जिन नियोजन इकाइयों में देर से आवेदन लेने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई है, वहां 26 जुलाई तक आवेदन लेने का निर्देश दिया गया है। शिक्षक पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के अप्रशिक्षित अभ्यर्थियों को प्लस-टू शिक्षक नियोजन हेतु अवसर प्रदान किया गया है।

उनके अनुसार वर्ष 2006 से जून 2013 तक जिलों में स्थापित अपीलीय प्राधिकार में शिक्षक नियोजन से संबंधित 36873 मामले (शिकायत व अपील) दायर हुए। इनमें कुल 34714 मामलों का निष्पादन किया जा चुका है। वहीं 3.42 लाख प्रारंभिक शिक्षकों की सेवा से संबंधित आंकड़ों को कंप्यूटरीकृत किया गया है, जिसे पहली अक्टूबर को विभागीय वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाएगा। इसका मकसद शिक्षकों की सेवा इतिहास संबंधी सूचना आम लोगों के बीच पहुंचाना है


News Sabhaar : jagran (16.7.13)

STET / BETET प्राधिकार के फैसले पर विभागीय कसरत शुरू


STET  / BETET प्राधिकार के फैसले पर विभागीय कसरत शुरू


STET  / BETET / Shikshak Niyojan Bihar Teacher Recruitment / Plus 2 Shikshan Niyojan Recruitment  


 
सीतामढ़ी, संवाददाता : विभागीय निर्देश के आलोक में जहां शिक्षक नियोजन इकाई ने दो शिक्षकों का नियोजन रद कर दिया हैं, वहीं जिला शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार ने आवेदक के पक्ष में फैसला सुनाया हैं। प्राधिकार के फैसले के बाद शिक्षक अभ्यर्थियों के फिर से नियोजन के लिए विभागीय कसरत शुरू हो गयी हैं। पुन: नियोजन को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने विभाग को मार्गदर्शन के लिए पत्र भेजा हैं।

क्या हैं? मामला

प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई परसौनी ने वर्ष 2006 में प्रखंड शिक्षक के पद पर राजीव कुमार को मध्य विद्यालय बेनीपुर व कंतलाल बैठा को मध्य विद्यालय कठौर गोट के लिए नियोजन पत्र निर्गत कर दिया। नियोजन पत्र के अलोक में दोनों शिक्षक अभ्यर्थियों ने 11 दिसम्बर 2006 को अपने-अपने विद्यालयों में योगदान कर कार्य शुरू कर दिया। दोनों अभ्यर्थियों का बीएड डिग्री भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ द्वारा जारी किया गया था। योगदान के बाद तेरह वैसे संस्थानों की सूची जारी की गई, जिसे शिक्षक नियुक्ति में शामिल नहीं किया जाना था। प्रधान सचिव के पत्रांक 998 दिनांक 5 अगस्त 2010 द्वारा जारी सूची में भारतीय शिक्षा परिषद लखनऊ द्वारा शिक्षक प्रशिक्षण डिग्री भी शामिल था। विभागीय निर्देश के आलोक में नियोजन इकाई ने उक्त दोंनो शिक्षकों का नियोजन रद कर दिया। मामला जिला शिक्षक नियोजन अपीलीय प्राधिकार पहुंचा।

प्राधिकार ने अपने पत्रांक 17 दिनांक 26 फरवरी 2013 में बताया है कि उच्च न्यायालय पटना ने सीडब्ल्यूजेसी नं.14813 2006 में पारित आदेश दिनांक 31 मई 2007 में भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ को मान्य संस्थान माना हैं। उक्त आवेदक को नियोजन का आदेश दिया हैं। इसके अलावे विभिन्न जनपदों में इसी संस्थान से प्रदत्त प्रमाण पत्र पर शिक्षक नियुक्त हुए हैं। अत: भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ को मान्य संस्था मानते हुए उपरोक्त दोनों आवेदकों के नियोजन रद करने संबंधी आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें पुन: नियोजित करने का आदेश दिया जाए। प्राधिकार के आदेश पर पूछे जाने पर जिला शिक्षा पदाधिकारी कुमार सहजानंद ने बताया कि इस संबंध में विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया हैं। दोनो शिक्षक अभ्यर्थियों को पुन : नियोजित नहीं किया जा सका हैं

News Sabhaar : Jagran (16.7.13)




Wednesday, July 10, 2013

Saturday, July 6, 2013

Infrastructure Facilities in Schools

CTET / NCTE / RTE : Infrastructure Facilities in Schools

Teacher Eligibility Test News  / Information 

Infrastructure Facilities in Schools
As per the District Information System for Education(DISE) 2011-12 (provisional), some States do reflect a gap in school infrastructure as 94.3% government elementary schools have drinking water, 87.9% schools have toilets and 61.7% schools have ramps.7 States / UTs have Pupil Teacher Ratio (PTR) above the National average of 1:31 at primary level and 8 States / UTs are above the national level of 1:29 at upper primary stage.

The Sarva Shiksha Abhiyan (SSA) seeks to augment school infrastructure with the objective of meeting the Right of Children to Free and Compulsory Education (RTE) Act, 2009 requirements, for which so far 3.04 lakh school buildings, 17.92 lakh additional classrooms, 8.53 lakh toilets,2.29 lakh drinking water facilitiesand 5.01 lakh ramps have been sanctioned across the States/Union Territories.

Under the SSA, efforts to improve quality in schools have been undertaken through improved textbooks based on the National Curriculum Framework 2005, the distribution of free textbooks, annual in-service training of all teachers, setting-up of academic supervision and support structures at block and cluster level and the introduction of comprehensive and continuous evaluation.For improving the Pupil-Teacher Ratio (PTR), more than 19 lakh posts of teachers have been sanctioned. Furthermore, under the RTE Act, 2009, the National Council of Teacher Education (NCTE) has notified the minimum qualifications and also made the holding of the Teacher Eligibility Test (TET) mandatory to improve the quality of teachers.

This information was given by the Minister of State for Human Resource Development, Dr. Shashi Tharoor in Lok Sabha today.

Source: http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=90514

CTET / NCTE / RTE : Speech Delivered by DR. M. M. Pallam Raju


CTET / NCTE / RTE Speech Delivered by DR. M. M. Pallam Raju


Given below is the Speech Delivered by DR. M. M. Pallam Raju, Minister for Human Resource Development at the 60th Meeting of Central Advisory Board of Education (CABE) held on 
8th November, 2012 at New Delhi 

“I have immense pleasure in welcoming you all to the 60th Meeting of the Central Advisory Board of Education (CABE). Let me also introduce my colleague in the Ministry and Vice Chairperson of the Committee Dr. Shashi Tharoor. I also take this opportunity to thank my predecessor Chairman Shri Kapil Sibal ji and also Vice Chairpersons E. Ahamed and Dr. D. Purandeswari. I thank the Hon’ble Ministers and distinguished members of CABE for coming to the meeting at such a short notice.

As you are aware, the meeting was earlier scheduled on 1st November, which had to be postponed due to unavoidable reasons. I thought that prolonged postponement of CABE may not be proper and have therefore called this meeting before the winter session of Parliament.

2. In a country as diverse and as large as ours, the task of developing national policies while at the same time respecting and incorporating regional aspirations and an inclusive agenda of growth is indeed really challenging. It is in this context that I have always emphasized on a participatory approach in which all of us, be it Central Government of State Governments, academics, autonomous institutions, private sector and all other stakeholders, work together towards a common goal which is empowering the children and youth of India through education and knowledge.

3. As all of us are aware, CABE is the highest advisory body to advise Central Government and State Governments in the field of Education. I would like to continue the tradition of having regular meetings of CABE which has served as a forum of wide ranging consultations and has helped in developing consensus on various issues within all the sub-sectors of education ranging from elementary, adult, secondary, higher, technical, vocational and open and distance education. I would also like to mention that Planning Commission in its Approach Paper to the XII Five Year Plan has recognised Education as the single most important instrument for social and economic transformation. The Approach Paper mentions that a well educated population, adequately equipped with knowledge and skill is not only essential to support economic growth, but is also a precondition for growth to be inclusive since it is the educated and skilled person who can stand to benefit most from the employment opportunities which growth will provide. Thus, collectively we have to decide policies and programmes for realizing India’s human resource potential to its fullest in the education sector, with equity and excellence.

6. I am also glad to inform that the Committees which we were formed during the 58th Meeting of CABE have submitted their reports which are before us for consideration. The Report of the CABE Committee on curbing unfair practices in school education sector along with draft legislation is before us today. The proposed legislation defines the various practices in the school education sector which will be treated as ‘unfair’ including charging excessive fee, lack of transparency in conducting the admission test for the standard XI, recruiting teachers without qualification, giving teachers and other administrative staff lesser salary than shown in the school records, recruiting teachers with low salary, exploitation of teachers through various means, not admitting special children, and discrimination of students, especially those belonging to SC/ST/OBC and weaker sections of society. The draft provides for mechanism of redress of complaints while prescribing the quantum of punishments for acts that violate the provisions of the proposed legislation.

7. Another CABE Committee on University Reforms has also submitted its report which emphasizes on the launch of a Rashtriya Uchchatar Shiksha Abhiyan which would have a special focus on incentivising state governments and state institutions.

8. The Committee on “Extension of the Right of Children to Free and Compulsory Education Act 2009 to Pre-school Education and Secondary Education” has also submitted its status report. The major issues that were identified by the Committee for further discussion are: (1) the entry age for pre-school under the extended framework; (2) qualifications and capacity building of teachers for preschool; (3) ensuring focus on child-centered pedagogy, play-way method and holistic development as critical elements of pre-school education: and (4) need for effective coordination with ICDS. As regards extending RtE to secondary levels, assessment of existing infrastructure, (i) age of children in the secondary education (15-16 or 15-18 years) and duration of secondary education (IX-X or IX-XII). (ii) appointment of additional teachers as per new PTR norm which would be fixed if RTE is extended,
(iii) consultation with all partners like state governments (on various issues like the norms of opening school, school infrastructure, teacher recruitment etc.), NCERT on curriculum and NCTE for qualification of teacher appointment, Teacher eligibility test, Teacher training institute, role and regulatory mechanism of the private sector (iv) sharing of financial responsibility between the Center and the states, are some of the key issues. As you would all appreciate, these issues need to be discussed comprehensively before we decide to extend RtE to pre-school and secondary level.

9. Since the coming into effect of Right to Children to Free and Compulsory Education (RTE) Act, 2009, all States/UTs have notified RTE Rules and 24 States/UTs have constituted SCPCR/REPA. However, we need to take a number of measures for filling up the vacancies of teachers as also provision of infrastructure. In this context, some of the State Education Ministers have also been requesting extending the time period prescribed for implementation of the Act. We would consider the same along with review of the progress of RtE.

10. As regards Teachers’ Education, Justice J. S. Verma Committee has given its report which was sent to all the State Governments. We will be having a detailed presentation on the measures to be taken by Central and State Governments in this regard. 

11. Skill Development and vocational education has been a key intervention in the education sector. In this context, we would be discussing reform measures in polytechnic sector. There are four strands of reform that have been identified in the process of consultations relating to:

Content and curriculum reform.
Faculty development and enrichment.
Reforms in assessment and certification methods.
Reforms in regulatory measures and institutional incentives.

12. As regards higher education, I feel the Consolidation of the Initiatives undertaken during XI Plan period, strengthening of the State Institutions, Faculty Development, Strengthening Research and Innovation in Basic Sciences and Social Sciences, Skill Building, Vocational Education and strengthening academia – industry linkages should be the critical focus areas.

13. Before I conclude, I would also like to mention that education should lead to building of an inclusive, just and fair society and it is in this context that I have been emphasizing on value education. Education in my view should lead to character building of our youth and also inspire them to work towards the task of nation building in addition to their work for employment or self-employment.

14. I would like meaningful exchange of views on all the agenda items and each one of you must contribute to making this a fruitful deliberation. I would request each one of you to express your views and pro-actively engage in the deliberations. These issues concern the future of the children and youth of our country and we should work together to improve access to education with equity and quality. With these words, I wish the proceedings all success and eagerly look forward to having a very engaging discussion.’’



Source : http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=88935

RTE / NCTE / TET : Union HRD Minister Reviews Implementation of RTE


RTE / NCTE / TET : Union HRD Minister Reviews Implementation of RTE

Teacher Eligibility Test News  / Information 

Union HRD Minister Reviews Implementation of RTE

Shri Kapil Sibal, Union Minister for Human Resource Development reviewed the implementation of the RTE Act, 2009 at a meeting with State Education Secretaries here today. Also present in the meeting were Dr. D Purendeswari, MoS for HRD, Smt. Anshu Vaish, Secretary, Dept. of School Education and Literacy and other senior officials. During the meeting among the matters discussed was the need for a grievance redressal mechanism for the RTE. It was pointed out that the RTE Act makes local authorities the grievance redressal agencies and the SCPCRs the appellate bodies at the State level. In this context it is necessary to establish the modalities through which child rights under the RTE Act are protected and violations can be dealt with. 

On the subject of Rationalizing Teacher Deployment, it was stated that a computerized software has been developed to facilitate states to undertake redeployment of teachers. The software uses the DISE database and can be customized to specific needs of the States. It has the potential to: 

Generate a list of under-served and over-served schools.
Create a vacancy database. 
Generate a list of vacancies subjects-wise. 
Be sensitive to the needs of physically handicapped teachers, women teachers and other categories as prioritized by the State. 
Correct existing imbalances in teacher deployment. 

Some of the other issues that were addressed during the meeting include a review of the status of notification of State rules under RTE Act, 2009 . A Review of status of constitution of SCPCR/REPA for protection of rights of children under the RTE Act was also done. The subject of Community Mobilisation and awareness creation of RTE was also underlined. Teacher related issues, including, Teacher Vacancies in State sector and SSA, Additional teachers to fulfill RTE Mandate, Teacher Qualifications and Revision of Recruitments Rules, Relaxation of Teacher Qualifications, Teacher Eligibility Test, Training of Untrained Teachers came up for discussion during the review. Also discussed was reimbursement for admission of 25 per cent children from disadvantaged groups and weaker sections in unaided schools 


Source : http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=71794

Tuesday, July 2, 2013

BETET / STET News : टीईटी अभ्यर्थियों के साथ हो रही राजनीति


BETET / STET News :  टीईटी अभ्यर्थियों के साथ हो रही राजनीति


BETET / Bihar Teacher Eligibility Test / Recruitment News

दरभंगा, नसं : केंद्रीयकृत नियोजन करने, सभी टीईटी व एसटीईटी अभ्यर्थियों का नियोजन नहीं होने तक दूसरी परीक्षा नहीं लेने समेत छह सूत्री मांगों को लेकर बिहार राज्य टीइटी अभ्यर्थी संघ के तत्वावधान में मंगलवार को समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारी नाका नं. 5 से चलकर मौलागंज, खान चौक, रहमगंज, नाका नं. 6 इस्माइलगंज, जीएनगंज, दारुभट्ठी चौक, बाकरगंज, लोहिया चौक, बीके रोड, लहेरियासराय होते हुए समाहरणालय के समक्ष पहुंचे। समाहरणालय के मुख्य द्वार पर मो.हलीम की अध्यक्षता में सभा हुई। इसे संबोधित करते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक कुमार भगत ने कहा कि राज्य सरकार टीईटी अभ्यर्थियों के साथ राजनीति कर रही है। परीक्षा चाहे कोई भी हो उसका राजनीतिकरण हो जाता है। बेरोजगारी बढ़ रही है। सरकार नहीं चाहती है कि शिक्षा के क्षेत्र में बिहार आगे बढे़। 


वह सिर्फ नियोजन की बात करती है, लेकिन नियोजन हो नहीं रहा है। सरकार पैसे के अभाव का रोना रो रही है। उन्होंने राज्य सरकार से केंद्रीयकृत नियोजन प्रणाली अपनाने की मांग की। उन्होंने अभ्यर्थियों से आठ अगस्त को पटना के गांधी मैदान में एकत्रित होने का आह्वान किया। सभा को सुधांशु कुमार, प्रभाकर झा, अर्जुन सहनी, नीरज कुमार, राजू मंडल, विनोद पासवान, मदन कुमार, कौशल कुमार आदि ने संबोधित करते हुए मांगों की पूर्ति पर बल दिया। मांगों से संबंधित मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन भी डीएम को सौंपा गया


Sabhaar : Jagran (2,7.13)


Monday, July 1, 2013

Plus 2 Shikshak Niyojan , BETET Niyojan News Bihar

Plus 2 Shikshak Niyojan , BETET Niyojan News Bihar



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