Sunday, May 20, 2012

RTE : बालिका प्रारंभिक शिक्षा में धरी रह गई 68 फीसद राशि



RTE : बालिका प्रारंभिक शिक्षा में धरी रह गई 68 फीसद राशि

रांची : बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के सहयोग से संचालित राष्ट्रीय बालिका प्रारंभिक शिक्षा कार्यक्रम (एनपीईजीईएल) में पिछले वित्तीय वर्ष (2011-12) में मात्र 32.39 फीसद राशि खर्च हुई। 67.61 प्रतिशत राशि राज्य सरकार खर्च नहीं कर पाई। 2011-12 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत केंद्र सरकार ने इस कार्यक्रम के लिए 17 करोड़ 80 लाख 98 हजार रुपये के बजट की स्वीकृति दी थी। इनमें से 64.45 लाख रुपये पिछले वित्तीय वर्ष (2010-11) के स्पिल ओवर के रूप में मिले, जबकि चालू वित्तीय वर्ष में 17 करोड़ 16 लाख 53 हजार रुपये मिले थे। कुल 17 करोड़ 80 लाख 98 हजार रुपये में से 12 करोड़ 04 लाख रुपये राज्य सरकार खर्च नहीं कर सकी। इस राशि में से 2012-13 में मात्र 57 लाख 01 हजार रुपये स्पिल ओवर के रूप में मिले। शेष राशि केंद्र सरकार के पास धरी रह गई। उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम के तहत 2012-13 में 16 करोड़ 32 लाख 10 हजार रुपये का अलग से बजट स्वीकृत हुआ है।

चौथाई राशि खर्च करने में भी छूटा पसीना

रांची : राष्ट्रीय बालिका प्रारंभिक शिक्षा कार्यक्रम (एनपीईजीईएल) में आठ जिलों का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। इनमें देवघर, सिमडेगा, रामगढ़, लोहरदगा, गोड्डा, पलामू, गढ़वा व कोडरमा शामिल हैं। इन जिलों ने 2011-12 वित्तीय वर्ष में तो बीस फीसद भी राशि खर्च नहीं की है। तीन जिलों में तो दस फीसद भी राशि खर्च नहीं हुई। सबसे खराब प्रदर्शन कोडरमा का रहा। मात्र दो जिले दुमका व गुमला में ही 50 फीसद से अधिक राशि खर्च हुई। आठ जिलों में बीस से 40 फीसद राशि खर्च हुई थी। वित्तीय सत्र के बाद दिनों में भी कोई खास खर्च नहीं हो पाया।

किस कारण यह स्थिति

-अधिकांश जिलों में प्रखंड स्तर के पदाधिकारी तथा जिला स्तर के पदाधिकारियों के बीच समन्वय नहीं।

-मूल्यांकन व रिपोर्टिग की सही प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती है।

क्या है एनपीईजीईएल

सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत इस कार्यक्रम के तहत स्कूल से बाहर की बालिकाओं की पहचान कर विभिन्न माध्यमों से न केवल उन्हें शिक्षित किया जाता है, बल्कि छोटे-छोटे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से भी जोड़ा जाता है। बालिकाओं को मशरुम उत्पादन, प्राकृतिक खाद निर्माण, पेंटिंग, सिलाई, कढ़ाई आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। बालिकाओं को शैक्षणिक भ्रमण भी कराया जाता है।


News : Jagran (20.5.12)

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