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Saturday, October 10, 2015

Breaking Newsऋषि-मुनि भी गौमांस खाते थे : रघुवंश

Breaking Newsऋषि-मुनि भी गौमांस खाते थे : रघुवंश
पटना, शनिवार, 10 अक्टूबर 2015

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कितने कौन कौन से यादव गौ मांस को खाना सही मानता है और लालू यादव और रघु वंश प्रसाद के बयान से सहमत हैं 

रघु वंश प्रसाद  का कहना है की हिन्दू साधु संत भी - गौ मांस खाते  थे 

लालू यादव का भी कहना है की हिन्दू भी गौ मांस भक्षण खाते  है ।  

क्या पता ये लोग वोटों के लालच में अपनी माँ का मांस खाना भी सही ठहरा दें 

गौ माता को हिन्दुओं में माँ का दर्जा प्राप्त है 


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पटना। राजद प्रमुख लालू प्रसाद के ‘हिन्दू भी बीफ खाते हैं’ के बयान को सही ठहराने की कोशिश करते हुए पार्टी के नेता रघुवंश प्रसाद ने यह कहकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया कि ऋषि-मुनि भी गौमांस खाते थे।


राजद उम्मीदवार राम विचार राय द्वारा शुक्रवार को नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद मुजफ्फरपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए रघुवंश ने कहा कि वेदों में लिखा है कि ऋषि-मुनि भी गौमांस खाया करते थे। इस पर अभी (जब चुनाव हो रहे हैं) चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है।

राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश ने कहा कि यह वैचारिक बहस का विषय है और चुनाव के समय इस पर बहस की आवश्यकता नहीं है। इस पर बाद में भी बहस की जा सकती है।

रघुवंश का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब गौमांस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजद प्रमुख लालू प्रसाद के बीच वाकयुद्ध छिड़ा हुआ है।

गत बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री ने बिहार में मुंगेर, बेगूसराय और समस्तीपुर में आयोजित रैलियों के दौरान लालू प्रसाद की उस सफाई पर कि 'उन्होंने शैतान के प्रभाव में यह गौमांस वाला बयान दिया था', उन पर यदुवंशियों का अपमान करने का आरोप लगाया था।

प्रधानमंत्री ने कहा था कि मुझे हैरानी है कि शैतान को प्रवेश करने के लिए उनका (लालू) ही शरीर मिला? मैं जानना चाहता हूं कि शैतान को उनका (लालू का) पता कैसे मिला? शैतान को पूरे बिहार, भारत और पूरी दुनिया में उन्हें छोड़कर किसी और का शरीर नहीं मिला? और उन्होंने भी शैतान का ऐसे स्वागत किया, जैसे कोई अपने रिश्तेदारों का करता है।

प्रधानमंत्री की उक्त टिप्पणी पर लालू ने शुक्रवार को कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि अगर मैं ‘शैतान’ हूं तो क्या वे ‘ब्रह्म पिशाच’ हैं?

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को राजद ने नरेन्द्र मोदी के खिलाफ निर्वाचन आयोग में शिकायत कर चुनाव आयोग से बिहार में प्रधानमंत्री की और रैलियों के आयोजन की अनुमति नहीं दिए जाने का आग्रह किया था।

इस बीच रघुवंश के बयान पर केंद्रीय राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पहले लालू, फिर रघुवंश ने हिन्दुओं के गोमांस खाने की बात कही। उस पर नीतीश की चुप्पी से सिद्ध होता है कि वे हिन्दुओं को जबरन गोमांस खिलाएंगे।


Sunday, August 9, 2015

APJ Abdul Kalam didn't even own fridge or air conditioner -TRUE NEWSडॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जायदाद की गिनती की गयी,जिसमे

APJ Abdul Kalam didn't even own fridge or air conditioner -TRUE NEWS
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जायदाद की गिनती की गयी,
जिसमे

 



६ पँट (2 DRDO युनिफोर्म)
४ शर्ट (2 DRDO युनिफोर्म)
३ सुट (1 पश्चिमी, 2 भारतीय)
२५०० किताबे
१ फ्लैट (संशोधन के लिए दान)
१ पद्मश्री
१ पद्मभूषण
१ भारतरत्न
१६ डॉक्टरेट
१ वेबसाईट
१ ट्विटर
१ इमेल

Kayee Log Gift Dene Aate the to vo bhee Nahin Lete The, Sirf Kitab Ke Sivaye.
Aisee Mahan Misaal the. Shat Shat Naman Mahapurush Ko

TV, AC, गाडी, जेवर, शेअर्स, जमीन-जायदाद, बैंक बैलेंस कुछ नही. पिछले 8 सालों से पेंशन की भी रकम अपने गाँव की ग्राम पंचायत को दान दे दी।

आँखो में नमी है।

असली महात्मा और राष्ट भक्त तो ये थे।

See News here : http://indiatoday.intoday.in/story/apj-abdul-kalam-didnt-even-own-fridge-or-air-conditioner/1/456293.html



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Thursday, July 2, 2015

महाराष्ट्र सरकार ने मदरसों को स्कूल मानने से किया इंकार

महाराष्ट्र सरकार ने मदरसों को स्कूल मानने से किया इंकार

फड़नवीस सरकार का बड़ा फैसला, महाराष्ट्र में मदरसों को नहीं माना जाएगा स्कूल, विपक्ष ने सरकार को घेरा


महाराष्ट्र में अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जैसे प्राथमिक विषय न पढ़ाने वाले मदरसों को औपचारिक स्कूल नहीं माना जाएगा। इसमें पढ़ने वाले छात्रों को स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा। महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को सभी जिलों को ये निर्देश दिए।

धर्म की शिक्षा दे रहे मदरसे
राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री एकनाथ खडसे ने कहा, 'मदरसे छात्रों को धर्म के बारे में शिक्षा दे रहे हैं। वे औपचारिक शिक्षा नहीं देते हैं। जबकि हमारे संविधान में सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा का अधिकार देने की बात कही गई है।' बकौल खडसे अल्पसंख्यक मामलों की मुख्य सचिव जयश्री मुखर्जी ने इस बारे में स्कूली शिक्षा एवं खेल मामलों के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है।

दूसरे विषय पढ़ाने को कहा
खडसे ने कहा, 'अगर एक हिंदू या ईसाई बच्चा मदरसे में पढ़ना चाहता है तो उन्हें वहां पढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती है। इसलिए एक स्कूल नहीं, बल्कि धार्मिक शिक्षा का स्रोत है। इसलिए हमने उनसे छात्रों को दूसरे विषय पढ़ाने के लिए भी कहा है। अन्यथा इन मदरसो को औपचारिक स्कूल नहीं माना जाएगा।'

1890 मदरसे पंजीकृत हैं महाराष्ट्र में
1.48 लाख बच्चे पढ़ते हैं राज्य में
550 मदरसे 4 विषय पढ़ाने को तैयार

4 जुलाई को सर्वे होगा
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने बताया कि स्कूली शिक्षा विभाग ने 4 जुलाई को छात्रों का सर्वे करने की योजना बनाई है। इसमें उन छात्रों की गिनती की जाएगी, जो औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त कर रहे हैं।
- एकनाथ खडसे, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री, महाराष्ट्र

क्या है इसका मकसद
खडसे के मुताबिक, इसके पीछे हमारा मकसद है कि अल्पसंख्यक समुदाय के प्रत्येक बच्चों को सीखने और मुख्यधारा में आने का मौका मिले। उसे अच्छी नौकरी मिले और उसका भविष्य उज्जवल हो।

भुगतान के लिए भी तैयार
महाराष्ट्र सरकार बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने पर मदरसों को भुगतान करने को भी तैयार है। जिन मदरसों में औपचारिक शिक्षा प्रदान नहीं दी जाती, उन्हें स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर माना जाएगा।

नई दिल्ली: महाराष्ट्र सरकार ने मदरसों को स्कूल मानने से इंकार किया. मदरसों में सिर्फ मुस्लिम बच्चे पढ़ते हैं और उनका पाठ्यक्रम भी स्कूलों के पाठ्यक्रम से अलग है. इसलिये मदरसों को स्कूल की श्रेणी में नहीं लिया जा सकता. ये बात महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मंत्री दिलीप कांबले ने कही है.

महाराष्ट्र सरकार के इस बयान पर सवाल उठ खड़े हुए हैं. महाराष्ट राज्य में करीब 2000 मदरसे हैं. जिसमें करीब 2 लाख बच्चे पढ़ते हैं. जिनकी पढ़ाई के पाठ्यक्रम पर महाराष्ट्र सरकार ने खड़े कर दिये हैं सवाल. और कहा है कि मदरसों को स्कूल नहीं माना जा सकता. महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मंत्री दिलीप कांबले ने कहा है कि मदरसो में सिर्फ मुस्लिम बच्चे पढ़ते हैं और उनकी पढ़ाई का पाठ्यक्रम भी आम स्कूलों से अलग होता है.



स्कूल के बाहर कितने बच्चे हैं, जो पढ़ाई नहीं करते, ये जानके लिए महाराष्ट्र सरकार 4 जुलाई को पूरे महाराष्ट्र में सर्वे करने वाली है. इस सर्वे के बाद इन बच्चों को शिक्षा कैसे दी जाए इस बारे में सरकार निर्णय लेगी.

               

महाराष्ट्र में 1895 मदरसे हैं उनमे दो लाख के आसपास विद्यार्थी शिक्षा लेते है. इस मुद्दे पर विपक्ष के कांग्रेस नेता विखे पाटिल का कहना है कि बीजेपी सरकार की भूमिका मुस्लिमों के बारे में पहले से ही गलत रही है, मुस्लिम आरक्षण के बारे में भी सरकार कुछ नहीं कर रही है और मुस्लिम बच्चों को शिक्षा के मुख्य धारा में भी लाने के लिये कोई कदम नहीं उठा रही है. जिसका असर मुस्लिम छात्रों के भविष्य पर होगा. एनसीपी नेता नवाब मलिक ने भी महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है और कहा कि ये सरकार मुसलमान विरोधी है और मदरसे पर लिया गया उनका ये फैसला गलत है.



महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर MIM के अध्यक्ष असदुदीन ओवैसी ने आपत्ति जताई हैमुस्लिम धर्मगुरु भी महाराष्ट्र सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं. खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा है कि मदरसे हमारी परंपरा का हिस्सा है और इससे समाज को लाभ होता है.




Tuesday, March 24, 2015

Selfee Craze : shooting victim takes a bullet, then made a #selfie

Selfee Craze :  shooting victim takes a bullet, then made a #selfie






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#IRCTC #Ticket Booking #Login #One Ticket #Online Railway Ticket

एक बार लॉग-इन से बुक होगा सिर्फ एक रेल टिकट

24th 2015 at 10:23am | Updated Mar 24, 2015

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नई दिल्ली। रेल मंत्रालय ने एक बार लॉग-इन कर कई टिकट बुक कराने वाले एजेंटों पर नकेल कसने के लिए एक बार में टिकट बुक करने की सुविधा देने का निर्णय लिया है। अब ई-टिकट के मामले में एक यूजर लॉग-इन सत्र के दौरान केवल एक टिकट बुक किए जा सकेंगे। दूसरा टिकट बुक करने के लिए यात्री को लॉग-आउट करके दोबारा प्रयास करना होगा।

यह सीमा केवल वॉरंट के जरिए बुकिंग करने वाले सैनिकों को छोड़कर आईआरसीटीसी एजेंटों समेत सभी पर लागू होगी। यह सीमा 8 बजे से 12 बजे के दौरान ई-टिकटों की बुकिंग पर लागू होगी, परंतु आगे की यात्रा या वापसी के टिकटों पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा।


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News हमारे राज में थी बच्‍चों को परीक्षा में नकल करने की छूट: लालू -

हमारे राज में थी बच्‍चों को परीक्षा में नकल करने की छूट: लालू - 


हमारे राज में थी बच्‍चों को परीक्षा में नकल करने की छूट: लालू -

हमेशा अपने बयानों से विवादों में रहने वाले राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्होंने स्पष्ट कह दिया है कि अगर उनका राज होता तो वे परीक्षार्थियों को परीक्षा के दौरान किताब उपलब्ध करा देते। हमारे कार्यकाल में बच्चों को नकल करने की छूट दी गई थी। उनके इस बयान पर बिहार भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व विधायक बिनोद नारायण झा ने कहा कि लालू प्रसाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे नहीं बदले, जंगल राज उनके डीएनए में है। बिहार में चल रही मैट्रिक परीक्षा में हो रही बंपर नकल को लेकर भले ही प्रदेश की छवि खराब हो रही हो लेकिन राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव इससे इत्तफाक नहीं रखते। बक्सर के नावानगर स्थित निजी स्कूल के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान लालू ने कहा कि हमारा राज होता तो परीक्षा के दौरान किताबें उपलब्ध करा देते। बच्चों ने जो पढ़ा है वही तो लिखेंगे। हम तो सब को परीक्षा में पूरी अजादी दे दिए थे। नकल के लिए छात्रों की पूरी किताब ही दे देते थे। लेकिन अब तो सब कुछ बदल गया है। बिहार की शिक्षा कैसी हो गई है, यह सभी देख रहे हैं। लोग तीन तल्ला पर चढ़कर नकल करवा रहे हैं। लालू प्रसाद ने परीक्षा व्यवस्था की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि अभिभावक परीक्षा भवन की दीवाल पर छिपकली जैसे चिपके दिख रहे हैं। उन्होंने राज्य शिक्षा मंत्री पीके शाही पर भी निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। दूसरी तरफ भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने लालू प्रसाद यादव का समर्थन करते हुए कहा कि परीक्षा भवन में परीक्षार्थियों को किताब उपलब्ध कराना कहीं से गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ विश्व की कई जाने-माने विश्वविद्यालय परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों को किताब मुहैया कराते हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षा में किताब मिलने के बाद भी वही छात्र पास हो सकता है जिसे पढ़ने आता हो और वो किताब पहले पढ़ चुका हो। 

Thursday, March 19, 2015

Ye Hai Bihar Board Exam Mein Nakal Ka Haal

Ye Hai Bihar Board Exam Mein Nakal Ka Haal

Ladkiyon ke School Ka Bhee Bura Haal Hai, Unke Ghar Vale Latiyan le Kar Nakal Kara Rahe the, Nakal Roko Dasta Aate Hee Pathrav Shuru kar Diya








Friday, February 13, 2015

#News मांझी बोले, हम भी लेते थे ठेकेदारों से कमीशन Jitan Manjhee - I am also taking commission contractors

 #News  मांझी बोले, हम भी लेते थे ठेकेदारों से कमीशन
Jitan Manjhee - I am also taking commission contractors
Bihar CM Jitam Ram Manjhi accepts taking bribe from contractors, engineers.

ye Bihar aur UP sudhar Jayen to Desh sudhar jaaye, jab CM aisa bayaan degaa to samajh lijiye ki kitnee lootpaat badegee
shame on this




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Saturday, November 22, 2014

Breaking News वेतनभोगियों को टैक्स में राहत देने के संकेत

Breaking News वेतनभोगियों को टैक्स में राहत देने के संकेत

वित्तमंत्री जेटली ने कहा- मध्य वर्ग पर और बोझ लादना नहीं चाहती सरकार, आयकर छूट सीमा बढ़ सकती है


नई दिल्ली। अगले आम बजट में लोगों को करों में कुछ राहत मिल सकती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आगामी बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाने के संकेत देते हुए कहा कि वह वेतनभोगियों और मध्य वर्ग पर और अधिक बोझ डालने की बजाय अधिक से अधिक लोगों को कर दायरे में लाना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि टैक्स में छूट से उपभोक्ताओं के पास ज्यादा पैसा बचेगा और वे ज्यादा खर्च करेंगे, जिससे सरकार को अप्रत्यक्ष कर के रूप में ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होगी।

वित्त मंत्री ने शनिवार को पीटीआई से बातचीत में कहा कि जहां तक आयकर की बात है तो उनका जोर कर दायरे में आने से बच रहे लोग को इसमें शामिल करने पर है। एक सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले बजट में उन्होंने कर छूट की सीमा दो लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की थी और अगर सरकार के राजस्व संग्रह की स्थिति ठीक रहती है तो वह इस दायरे को और बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि 2.5 रुपये तक की वार्षिक आय पर कर नहीं लगाने का मतलब यह है कि मानक कटौती को जोड़ लिया जाए तो एक आम व्यक्ति को 3.5 से 4 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कर नहीं देना पड़ेगा। जेटली ने आगे कहा कि राजस्व संग्रह की स्थिति अच्छी रही तो सरकार कर छूट के दायरे को बढ़ाना चाहेगी।

अप्रत्यक्ष कर के सहारे भरपाई की कोशिश

•जेटली ने कहा कि कर देने से बच रहे लोगों को इस दायरे में लाने के लिए अभी कोई नीति नहीं है। ऐसे में अगर टैक्स अदा करने वाले लोगों को ज्यादा छूट देते हैं तो उनकी जेब में ज्यादा पैसा आएगा और खर्च की क्षमता बढ़ेगी। इससे अप्रत्यक्ष कर संग्रह व सरकार का राजस्व बढ़ेगा। इससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।

वेतन भोगियों का दर्द ः

वित्त मंत्री ने कहा कि वर्तमान कर नीति मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 35 से 40 हजार रुपये प्रति माह कमाता है और वह अपनी आय का कुछ हिस्सा बचत योजनाओं में डालता है तो उसे कर देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन, इस आय वर्ग के लोगों का कहना है कि घर किराया या होम लोन की ईएमआई, परिवहन खर्च, बच्चों की स्कूल फीस आदि को देखते हुए 35 से 40 हजार रुपये की आय में कुछ भी नहीं बच पाता है। बचत कहां से होगी।

•ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स दायरे में लाने की कोशिश करेगी सरकार

पिछले बजट में कर छूट की सीमा दो लाख से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये की गई थी और अगर सरकार के राजस्व संग्रह की स्थिति ठीक रहती है तो इस दायरे को और बढ़ाया जा सकता है। - अरुण जेटली, वित्त मंत्री



Friday, September 5, 2014

Teachers Day : PM Modi Speech to Children

टीचर्स डे: पीएम मोदी के भाषण की 10 बड़ी बातें
 Teachers Day : PM Modi Speech to Children 
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मोदी सर की क्लास' से पहले क्या बोले बच्चे ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीचर्स डे के मौके पर आज देशभर के स्कूली बच्चों को संबोध‍ित किया. पीएम का यह भाषण करीब 18 लाख स्कूलों में लाइव दिखाया गया. देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब शिक्षक दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री ने स्‍कूली बच्‍चों को संबोधित किया.
अपने भाषण की शुरुआत करते हुए मोदी ने कहा कि बच्चों के बीच भाषण सौभाग्य की बात है. श‍िक्षक के महत्व को समझे बिना बदलाव संभव नहीं है. उन्होंने सवाल उठाया कि आख‍िर क्या वजह है कि अध‍िकतर लोग टीचर नहीं बनना चाहते?


इस अवसर पर लाखों विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि...

* स्कूलों में रोजगार परक शिक्षा के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
हमारे पास डिग्री के साथ हुनर भी होना चाहिए। बच्चों को भी स्किल डेवलपमेंट का अवसर मिलना चाहिए। स्किल डेवलपमेंट किसी भी देश और व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी है। जहां भी जिस तरह का काम है, वहां के युवकों को उसी तरह का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि उन्हें अपने गांव के निकट ही काम मिल जाएगा। ऐसा होगा तो रोजगार बढ़ेंगे और देश का आर्थिक विकास भी होगा। हम ने स्किल डेवलपमेंट के लिए अलग से मंत्रालय बनाया है।

* आपकी हमसे क्या अपेक्षाएं हैं और हम आपके लिए क्या कर सकते हैं?
मोदी ने कहा कि पूरी दुनिया में ऊर्जा संकट है। बच्चे बिजली बचाने का काम कर सकते हैं। क्लास खत्म होने के बाद हम ध्यान रखें कि बिजली बंद हुई है या नहीं। हम बंद करें। हम छोटी छोटी चीजें समझकर पानी और बिजली बचा सकते हैं। सब मिलकर हम थोड़ा थोड़ा करेंगे तो बूंद बूंद से सागर भर जाएगा।

* लड़कियों की शिक्षा के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
हम चाहते हैं कि बालिकाओं के लिए निकटतम स्कूल मिले और उन्हें स्तरीय शिक्षा मिले। हम इसके लिए तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सकते हैं।

* काम का दबाव कैसे नियंत्रित करते हैं?
मोदी ने कहा कि राजनीति को प्रोफेशन नहीं मानना चाहिए। इसे एक सेवा के रूप में स्वीकार करना चाहिए। सेवा का भाव तब जगता है, तब अपनापन होता है। अपनापन नहीं होता तो सेवा का भाव नहीं जग सकता। 125 करोड़ देशवासी मेरा परिवार हैं। इनके लिए काम करते हुए मुझे कभी थकान महसूस नहीं होता। मुझे और ज्यादा काम करने के लिए प्रेरणा मिलती है। अपनापन लंबे समय तक चलता है। पद तो आते जाते रहते हैं।

* मुख्‍यमंत्री रहते हुए आपने 'गुजरात पढ़ो' अभियान शुरू किया था, क्या राष्ट्रीय स्तर पर भी आपकी कोई योजना है?
इस सवाल पर मोदी ने कहा कि ऐसा कोई कार्यक्रम तो नहीं, लेकिन मैंने डिजिटल इंडिया का काम शुरू किया है। मैं चाहता लोग तकनीक और विज्ञान से जुड़ें। मैं डिजिटल इंडिया का सपना लेकर चल रहा हूं। हर भाषा में डिजिटल इंडिया का सपना पूरा होना चाहिए। व्यक्ति को पढ़ने की आदत होती चाहिए। मेरी अब किताब पढ़ने की आदत छूट गई है, अब मैं फाइलें पढ़ता हूं।

* पर्यावरण की रक्षा कैसे करें?
इस सवाल के जवाब में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हम बदल गए हैं, हमारी आदतें बदल गई हैं। हमने पूरे पर्यावरण का नुकसान किया है। हम बदल जाएं तो संतुलन तुरंत हो जाता है। मनुष्य को प्रकृति से प्रेम करना चाहिए। उससे संघर्ष नहीं करना चाहिए। हमारे शास्त्रों में तो पौधे को परमात्मा और नदी को माता कहा गया। जब से यह सब भूल गए हैं तो गंगा भी मैली हो गई है। हम पूरे ब्रह्मांड को अपना परिवार मानते हैं। हमें सिखाया जाता है कि हम सुबह उठते हैं पृथ्वी पर पांव रखते हैं तो हमें भारत के लिए उससे माफी मांगना सिखाया जाता है। हम प्रकृति के साथ जीना भूल गए हैं। हमें यह फिर से सीखना पड़ेगा।

* बच्चे देश की सेवा कैसे कर सकते हैं?
नरेन्द्र मोदी ने एक छात्रा के सवाल के जवाब में कहा कि अच्छे विद्यार्थी बनें। यह भी अपने आप में देश की सेवा ही है। बच्चे साफ सफाई का ध्यान रखें। बच्चे घर में बिजली बचाने का काम करें। यह भी बहुत बड़ी देश सेवा है। बिजली बचाकर आप पर्यावरण की रक्षा कर सकता है। देश सेवा के लिए बहुत चीजें करने की जरूरत नहीं, छोटी छोटी बातों से भी हम देश की सेवा कर सकते हैं।

* यदि आप शिक्षक होते तो आप कैसे बच्चे पसंद करते?
मोदी ने कहा कि शिक्षकों का काम होता है विद्यार्थी गुणों को समझें और विकसित करे। शिक्षक के लिए सभी बच्चे अपने होते हैं। उसे सबके साथ समान व्यवहार करना चाहिए। मैं भी यदि शिक्षक होता तो सबके साथ समान व्यवहार करता।

* हमारे इलाके में उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी हैं। इसके लिए आप क्या प्रयास करेंगे। (छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा से एक छात्रा का सवाल है)
छत्तीसगढ़ में रमणसिंहजी ने जो काम किए हैं, मुझे विश्वास है शिक्षाविदों का ध्यान इस ओर जाएगा। उन्होंने बालिका शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि यदि एक बालिका पढ़ती है तो दो परिवार पढ़ते हैं। मेरा भी इस बात पर जोर है कि बालिका शिक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाए। बेटियों के लिए अलग टॉयलेट नहीं होने के कारण लड़कियां जल्दी स्कूल छोड़ देती हैं। यदि इस पर पहले ध्यान दिया जाता तो स्थितियां कुछ और होतीं। मैं इस बात पर विशेष तौर पर ध्यान दे रहा हूं। लड़कियां स्कूल छोड़ें नहीं इस पर मेरा विशेष ध्यान है। शिक्षा को लेकर बालिका के मन में इस तरह का सवाल है तो यह बड़ी बात है। इस सवाल में देश को जगाने की ताकत है।

* क्या आपको स्कूल के दिनों की कुछ शरारतें याद हैं? (लेह की एक छात्रा का सवाल)
मोदी ने कहा कि कोई बालक ऐसा नहीं होता जो शरारत नहीं करता हो। मुझे इस बात की चिंता है कि बचपन बहुत जल्दी मर रहा है। बचपन में शरारतें होनी चाहिए। जीवन में विकास के लिए यह बहुत जरूरी है।

मोदी ने अपनी शरारत का उल्लेख करते हुए कहा कि हम जब छोटे थे तो शादी के समय शहनाई वादक को इमली दिखाते थे, जिससे वह बजा नहीं पाता था। वह हमें मारने के लिए दौड़ता था।

अपनी एक और शरारत का उल्लेख करते हुए कहा कि हम शादी के समारोह में जाते थे हम वहां स्वागत में खड़े महिला पुरुषों के कपड़ों में स्टेपलर लगा दिया करते थे।


* यदि आप शिक्षक होते तो आप कैसे बच्चे पसंद करते?
मोदी ने कहा कि शिक्षकों का काम होता है विद्यार्थी गुणों को समझें और विकसित करे। शिक्षक के लिए सभी बच्चे अपने होते हैं। उसे सबके साथ समान व्यवहार करना चाहिए। मैं भी यदि शिक्षक होता तो सबके साथ समान व्यवहार करता।

* जापान और भारत की शिक्षा में आप क्या अंतर महसूस करते हैं?
इस सवाल के जवाब में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि जापान में टीचिंग नहीं के बराबर है, लेकिन 100 फीसदी लर्निंग है। वहां बच्चों को काफी कुछ सीखने को मिलता है। वहां हर विद्यार्थी में गजब का अनुशासन है। वहां मां बाप स्कूल छोड़ने नहीं जाते हैं। वहां हर कदम पर पैरेंट्‍स खड़े होते हैं। इससे सभी पैरेंट्‍स सभी बच्चों को समान ट्रीटमेंट देते हैं। यह सभी बच्चों के प्रति समान व्यवहार की बात मेरे मन को छू गई है। वहां तकनीक का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है। वहां अनुशासन और स्वच्छता बहुत ही सहज है। सम्मान हरेक के व्यवहार में नजर आता है। यह चीज संस्कारों से आती है।

* मैं भारत का प्रधानमंत्री कैसे बन सकता हूं। (पूर्वोत्तर के एक छात्र का सवाल)
इस पर नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 2024 के चुनाव की तैयारी करो। इसका मतलब यह भी है कि तब तक मुझे किसी तरह का खतरा नहीं है। भारत लोकतांत्रिक देश है। यदि आप देश की जनता का विश्वास जीत सकते हैं, तो कोई भी बालक देश का प्रधानमंत्री बन सकता है। आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं।


* लोग कहते हैं कि आप हैडमास्टर की तरह हैं, मगर आप वास्तविक जीवन में किस तरह के आदमी हैं? आप क्या हैं?
मैं खुद तय नहीं कर सकता हूं कि मैं क्या हूं। मैं ऐसा आदमी हूं कि खुद भी काम करता हूं और दूसरों से भी काम लेता हूं। मैंने अधिकारियों से भी कहा है कि वे 12 घंटे काम करेंगे तो मैं 13 घंटे काम करूंगा


* आपको हमारे जैसे छात्रों के बीच आने से क्या लाभ मिलता है?
लाभ मिलता होता मैं नहीं आता। बहुत सारे काम ऐसे होते हैं जो लाभ के लिए नहीं किए जाते हैं। लाभ के लिए जो काम होते हैं, उनमें बहुत आनंद आता है। मैं पहली बार देख रहा हूं पूरे देश का मीडिया विद्यार्थियों की चर्चा कर रहा है। मेरे लिए यही सबसे बड़ा लाभ है अन्यथा देश हमारे जैसे नेताओं के चेहरे देखकर बोर हो गया था।

* क्या आपने बालक के रूप में सोचा है कि क्या आप देश के प्रधानमंत्री बनेंगे और विश्व में प्रसिद्ध होंगे?
मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा। मैं तो कभी स्कूल में मॉनिटर का चुनाव भी नहीं लड़ा। मैं बहुत ही छोटे परिवार से आता हूं। लेकिन, मैंने बड़ों से सीखा है, पढ़ा है कि अति महत्वाकांक्षा बोझ बन जाती है। ज्यादा अच्छा हो कि आप कुछ बनने के बजाय कुछ करने की सोचना चाहिए। इससे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। करते करते कुछ बन गए तो बन गए। करने का आनंद अलग है।

* गांधीनगर से दिल्ली आने के बाद आप कैसा महसूस कर रहे हैं। क्या बदलाव आया है, आपके जीवन में?
मुझे अभी दिल्ली देखने का समय नहीं मिला है। अभी घर से ऑफिस और ऑफिस से घर जाता हूं। मैं अभी कोई बहुत बड़ा फर्क महसूस नहीं करता। मुख्‍यंमत्री से प्रधानमंत्री बनने में विषयवस्तु बदलती है, दायरा बदलता मगर शेष कुछ नहीं बदलता। उतना ही काम करना पड़ता, देर रात तक जागना पड़ता है। दिल्ली में ज्यादा सतर्क रहना पड़ता है। मुख्‍यमंत्री रहने के कारण इस दायित्व को समझने और निभाने में कोई ज्यादा दिक्कत नहीं आई। मैं इसे सरलता से कर पाया।
* बच्चों को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने की जरूरत है।
* हमारी कोशिश होनी चाहिए कि बच्चे विज्ञान और तकनीक से जुड़ें।
* जीवन में खेलकूद नहीं है तो जीवन खिलेगा नहीं।
* बच्चों को कोशिश करनी चाहिए कि दिन में चार बार पसीना निकलें, अर्थात वे शारीरिक श्रम करें।
* जीवन कंप्यूटर, किताब और टीवी में ही दबकर न रह जाए।
* महापुरुषों के जीवन चरित पढ़ने से हम इतिहास के करीब पहुंचते हैं।
* बड़े लोगों की जीवनी पढ़ने चाहिए।


* आगे बढ़ने वालों के इरादों में दम हो तो, उसे कोई भी परिस्थितियां उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक सकतीं। ऐसा मैं सोचता हूं।
* देश के इंजीनियर, डॉक्टर और अन्य अधिकारी सप्ताह में एक दिन बच्चों को जाकर पढ़ाएं या सिखाएं।
* हर किसी की शक्ति को जोड़ने की जरूरत है।
* सभी महापुरुषों के जीवन में शिक्षकों का बहुत बड़ा योगदान है।
* जापान में शिक्षक और छात्र मिलका स्कूल की सफाई करते हैं। यहां भी ऐसा किया जा सकता है।

* जो पीढ़ियों के बारे में सोचते हैं वे इन्सान बोते हैं।
* जो बातें बच्चे मां बाप को नहीं बताते, वह शिक्षकों को बताते हैं।
* वैश्विक परिवेश में ऐसा माना जाता है कि सारे देश में अच्छे शिक्षकों की बहुत बड़ी मांग है।
* क्या भारत यह सपना नहीं दुनिया को नहीं दे सकता।
* शिक्षक के महत्व को समझे बिना समाज में बदलाव संभव नहीं।
* 18 लाख स्कूलों में मोदी का लाइव भाषण दिखाया जा रहा है।
* गांवों में शिक्षक सबसे आदरणीय होता है। इस स्थिति को फिर से लाने की जरूरत है।
* विद्यार्थी के लिए शिक्षक हीरो जैसा होता है। वे उनकी ही तरह करना चाहते हैं।

* हम जब तक शिक्षक की अहमियत स्वीकार नहीं करेंगे, तब तक शिक्षक के प्रति गौरव पैदा होगा न ही नई पीढ़ी के परिवर्तन में ज्यादा सफलता मिलेगी।
* हम इस बात को समझें कि हमारे जीवन में शिक्षक का महत्व क्या है।
* मैं भारत के भावी सपनों के साथ बात कर रहा हूं।
* मेरे लिए सौभाग्य की घड़ी है कि मुझे देश के बच्चों से बातचीत का मौका मिला है।





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जापान का किस्सा
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मोदी ने अपने भाषण में हाल में अपनी जापान यात्रा का एक किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि जापान में टीचर और स्टूडेंट मिलकर सफाई करते हैं. हिंदुस्तान में ऐसा क्यों नहीं होता? हम इसे राष्ट्रीय चरित्र कैसे बनाएं, इस पर विचार करना होगा.

मीडिया पर चुटकी
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मोदी ने अपने इस भाषण में मीडिया पर चुटकी की. उन्होंने कहा, 'जब मैं गुजरात में था तो एक बार टीवी चैनलों ने एक स्कूल में सफाई वाली खबर पर खूब बवाल किया. मैं पूछता हूं कि इसमें बुराई क्या है, अगर बच्चों में स्कूल में सफाई की.' हालांकि बाद में मोदी ने टीचर्स डे के इस कार्यक्रम के लगातार कवरेज के लिए मीडिया का आभार भी व्यक्त किया.

अनुरोध
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पीएम ने पढ़े लिखे लोगों से आग्रह किया कि वो निकट के एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए सप्ताह में एक पीरियड लें. मोदी ने श‍िक्षकों से आग्रह किया कि बच्चों को आधुनिक टेक्नोलॉजी की जानकारी दें.

कितनी बार निकलता है पसीना?
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मोदी ने मानेकशॉ ऑडिटोरियम में मौजूद बच्चों से पूछा कि कितनों को दिन में चार बार पसीना निकलता है? बच्चों को खूब मस्ती करना चाहिए, दौड़-धूप करना चाहिए कि दिन में चार बार पसीना आए. किताब, टीवी, कम्प्यूटर के दायरे में जिंदगी नहीं रहनी चाहिए.

जीवन चरित्र पढ़ने की सलाह
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मोदी ने बच्चों को सलाह दी कि उन्हें नियमित किताबों के अलावा जीवन चरित्र जरूर पढ़ना चाहिए. उन्होंने कहा, 'इससे हम इतिहास के बहुत करीब जाते हैं. हर क्षेत्र के अग्रणी लोगों के जीवन चरित्र पढ़ने चाहिए.'

गूगल का जिक्र
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मोदी ने कहा, 'आज कल हर काम गूगल गुरु करता है. कोई भी सवाल मन में आता है, गूगल गुरु के पास चले जाते हैं. गूगल गुरु से जानकारी तो मिलती है, लेकिन ज्ञान नहीं.' पीएम बनने के बाद संभलकर बोलना पड़ता है

सवाल-जवाब राउंड शुरू हुआ तो एक बच्चे ने पूछा कि सीएम से पीएम बनने के बाद आपको कैसा लगा? मोदी का जवाब था, 'दिल्ली में अभी घूमा ही कहां हूं. ऑफिस से घर, घर से ऑफिस. ज्यादा बदलाव नहीं आया. इस दायित्व को संभालने में मुझे कोई ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. पीएम बनने के बाद संभलकर बोलना होता है.'

एक लड़की के सवाल पर मोदी ने कहा, 'मैं एक दिन पीएम बनूंगा, ये कभी नहीं सोचा था. सपने देखने चाहिए, लेकिन कुछ बनने के बजाय, कुछ करने के सपने देखने चाहिए. महत्वाकांक्षा जीवन में बोझ की तरह है.

इस सवाल पर कि बच्चों से बातचीत से आपको क्या लाभ होगा, मोदी ने कहा, लाभ मिलता होता तो नहीं आता. बहुत सारे काम होते हैं जो लाभ के लिए नहीं किए जाते. ऐसे काम का आनंद अलग होता. लाभ के लिए काम करने वाले मुसीबत में फंस हो जाते हैं.

'2024 तक रहूंगा पीएम'
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इम्फाल से एक बच्चे ने मोदी पूछा, 'मैं कैसे देश का पीएम बन सकता हूं.' इस पर मोदी का जवाब था, '2024 के चुनाव की तैयारी करो. इसका मतलब हुआ कि तब तक मैं पीएम रहूंगा.' मोदी के इस जवाब पर खूब ठहाके लगे.

शरारती बाल नरेंद्र के किस्से
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नरेंद्र मोदी ने अपने बचपन के दिनों में की गई शरारतों का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कोई बालक शरारत न करे तो य‍ह चिंता की बात है. उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि जब किसी शादी में शहनाई बजती थी तो मोदी और इनके कुछ साथी इमली लेकर जाते थे और शहनाई बजाने वाले के सामने इसे खाते थे. इससे शहनाई बजाने वाले के मुंह में पानी आ जाता और उसे शहनाई बजाने में दिक्कत होती थी.

एक और किस्से का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, 'हम बचपन में किसी की शादी में चले जाते थे. कोई भी दो लोग खड़े होते थे तो उनके कपड़े में स्टेपलर लगा देते थे.' मोदी के ये किस्से सुनकर बच्चों ने खूब ठहाके लगाए.

बच्चों को दी भगवत गीता
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मानेकशॉ ऑड‍िटोरियम में आयोजित समारोह में स्कूली बच्चे भी शामिल हुए. कुछ बच्चों ने डॉ. राधाकृष्णन के संस्मरण सुनाए. इन बच्चों ने पीएम के पैर छुए और मोदी ने इन्हें भगवत गीता भेंट की.

साभार-आजतक
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शिक्षक दिवस के मौके पर स्कूली बच्चों से मुखातिब हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से छात्र-छात्राओं ने तरह-तरह के सवाल पूछे। नरेंद्र मोदी से बच्चों का पहला सवाल था, आपको प्रधानमंत्री बनकर कैसा लगता है? जवाब में मोदी ने कहा, मुख्यमंत्री के रूप में मिला अनुभव काम आ रहा है। पीएम से बच्चों का दूसरा सवाल था, आपके जीवन में शिक्षकों का ज़्यादा योगदान रहा, या अनुभवों का? प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि मेरे लिए दोनों बेहद महत्वपूर्ण हैं।

नरेंद्र मोदी से बच्चों का तीसरा सवाल रहा, क्या आपने बचपन में सोचा था, प्रधानमंत्री बनेंगे, विश्वप्रसिद्ध होंगे... प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, कभी नहीं सोचा था कि पीएम बनूंगा, मैं तो क्लास में कभी मॉनिटर भी नहीं बन पाया। हमें जीवन में कुछ बनने के नहीं, कुछ करने के सपने देखने चाहिए, क्योंकि करते-करते कुछ बन गए तो बन गए, नहीं बने तो कोई बात नहीं। कुछ करने का आनंद अपने आप में बहुत सुख देता है।

नरेंद्र मोदी से बच्चों का चौथा सवाल, हम जैसे बच्चों से बातचीत कर आपको क्या लाभ मिलता है? प्रधानमंत्री का जवाब, बहुत सारे काम होते हैं, जो लाभ के लिए नहीं किए जाते और इसका अलग आनंद होता है। मैं मीडिया वालों का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने बच्चों की इच्छाएं पूछीं।

मणिपुर के एक बच्चे ने पीएम मोदी से पूछा, मैं देश का प्रधानमंत्री कैसे बन सकता हूं? प्रधानमंत्री यह सवाल सुनकर हंस पड़े और कहा कि 2024 के चुनाव की तैयारी करो, शपथग्रहण में मुझे जरूर बुलाना...

पीएम से बच्चों का अगला सवाल था कि जापान और भारत की शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर पाया? प्रधानमंत्री ने कहा कि जापान में शिक्षण न के बराबर, लेकिन सीखना शत-प्रतिशत होता है, वहां गज़ब का अनुशासन है। बच्चों ने मोदी से आठवां सवाल किया कि आलसी, लेकिन होशियार बच्चे और मेहनती मंदबुद्धि बच्चे में आप किस पर ध्यान देंगे? प्रधानमंत्री ने जवाब दिया कि मैं टीचर होता, तो किसी बच्चे से भेदभाव नहीं करता। कोई भी टीचर बच्चों से भेदभाव नहीं करता।

नरेंद्र मोदी से बच्चों का नौवां सवाल था, क्या आपको अपने विद्यार्थी काल में की गई शरारतें याद हैं? प्रधानमंत्री ने कहा कि बिना शरारत के बच्चों का विकास रुक जाता है। उन्होंने कहा कि बचपन में वह खुद भी बहुत शरारती थे और दोस्तों के साथ शहनाई बजाने वालों को इमली दिखाते थे, ताकि उसके मुंह में पानी आ जाए और उसे शहनाई बजाने में दिक्कत हो। यही नहीं पीएम ने यह भी बताया कि बचपन में वह शादी में आए महिला-पुरुष मेहमानों की पोशाकें स्टेपल कर दिया करते थे।

नरेंद्र मोदी से बच्चों ने सवाल किया कि जनजातीय इलाकों में लड़कियों की शिक्षा पर वह क्या कहेंगे? प्रधानमंत्री ने कहा कि लड़कियों की शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। मेरा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि लड़कियां स्कूली पढ़ाई बीच में न छोड़ें, सभी स्कूलों में शौचालय की पहल इसी प्रयास का हिस्सा है।

नरेंद्र मोदी से बच्चों का ग्यारहवां सवाल था कि हम बच्चे देश के विकास में आपकी क्या मदद कर सकते हैं? प्रधानमंत्री ने इसके जवाब में कहा कि देश की सेवा करने के लिए जान देना या राजनेता बनना ही जरूरी नहीं है, बिजली बचाकर और एक पौधा लगाकर भी देश की सेवा की जा सकती है। अगर आप लोग सफाई और अनुशासन सीखेंगे, तो यह भी देशसेवा होगी।

जलवायु परिवर्तन से जुड़े बच्चों के सवाल पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रकृति के प्रति लगाव हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है, लेकिन बदलाव आया है। प्रकृति से प्यार करो, अपनी आदतें बदलो, सब ठीक हो सकता है।

बच्चों ने पीएम से पूछा, क्या आपकी नजर में राजनीति मुश्किल पेशा है? प्रधानमंत्री ने कहा, राजनीति पेशा नहीं, सेवा है...मुझे सभी सवा सौ करोड़ भारतीय परिवार लगते हैं, इसलिए सेवा करने से थकान नहीं होती। नरेंद्र मोदी से बच्चों का चौदहवां सवाल था कि क्या वह सारे भारत को पढ़ाने का कोई कार्यक्रम लाएंगे? पीएम ने कहा कि डिजिटल इंडिया और सभी भाषाओं में आधुनिक तकनीक उपलब्ध करवाना उनका सपना है। उन्होंने बच्चों से कहा कि चाहे कॉमिक्स पढ़ें, लेकिन पढ़ने की आदत डालें, पढ़ना सर्वश्रेष्ठ आदत है।

बच्चों ने पीएम से पूछा कि बिजली बचाने में बच्चे कैसे मदद कर सकते हैं? प्रधानमंत्री ने कहा कि बिजली का संकट विश्वव्यापी है, इसलिए सबको मिलकर सो, बिजली बचानी ही होगी। बच्चे भी जिम्मेदारी लेना सीखें और जब घर से निकलें, याद से पंखा-बत्ती बंद करें। इसी तरह स्कूल से निकलते वक्त भी रोज एक बच्चा यह जिम्मेदारी ले कि वह सभी बत्तियां, पंखे बंद करके आखिर में निकलेगा।

इसके बाद बच्चों ने सवाल किया कि क्या उनकी सरकार रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने को सोच रही है, जिस पर मोदी ने कहा कि सारी दुनिया कौशल विकास पर ध्यान दे रही है और डिग्री के साथ-साथ कोई न कोई हुनर होना बेहद जरूरी है, इसलिए स्किल डेवलपमेंट के उद्देश्य से हमारी सरकार ने अलग विभाग भी बनाया है।

अंत में प्रधानमंत्री ने सभी बच्चों से आग्रह किया कि वे हमेशा मुस्कुराते रहें, खेलते-कूदते रहें और अपने भीतर के बच्चे को हमेशा ज़िन्दा रखें।



Saturday, May 17, 2014

News : हार से जेडीयू में मचा हाहाकार, नीतीश ने दिया इस्तीफा

News : हार से जेडीयू में मचा हाहाकार, नीतीश ने दिया इस्तीफा
इस्तीफा देकर बोले नीतीश, उम्मीद है अच्छे दिन आएंगे


नीतीश ने लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद इस्तीफा देने का फैसला किया। बीजेपी से गठबंधन टूटने की कीमत जेडीयू को चुकानी पड़ी है। उसे सिर्फ 2 सीटें ही मिली हैं। यहां तक कि शरद यादव भी पप्पू यादव के हाथों हार झेलनी पड़ी है। पार्टी की फजीहत देख नीतीश ने इस्तीफा देने का फैसला कर लिया



लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इस्तीफा


नीतीश कुमार के इस्तीफे के एक कारण बिहार विधानसभा में जेडीयू का पूर्ण बहुमत नहीं होना है. वर्तमान विधानसभा में जेडीयू के 116 विधायक है. हालांकि तकनीकी रूप से अगर देखें तो पार्टी के पास केवल 112 विधायक ही हैं. बीजेपी से अलग होने के बाद जेडीयू के पास 117 विधायक थे. तब से लेकर नीतीश कुमार ने 5 विधायकों को पार्टी से निकाल दिया है. इस तरह जेडीयू के पास अब केवल 112 विधायक हैं.





बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया है. लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी जेडीयू के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया.





बीजेपी नेता रामेश्वर चौरसिया ने कहा, 'नीतीश कुमार हमेशा दूसरों के सहारे रहे हैं. उनमें अकेले खड़े रहने की हिम्मत नहीं है. पहले लालू के सहारे मंत्री बने. फिर हमारे सहारे बिहार के मुख्यमंत्री बने. आज जब बिहार में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ी है तो उन्हें अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है. खुद पीएम बनने का सपना पालने लगे थे अब जमीनी हकीकत का पता चला तो इस्तीफा देकर पिंड छुड़ा लिया.




बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने तो यहां तक दावा कर दिया कि उनके संपर्क में जेडीयू के करीब 50 विधायक हैं. वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. दूसरी तरफ, हाल ही में एनडीए में शामिल होने वाले एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान ने अपनी पार्टी के शानदार प्रदर्शन के बाद शनिवार को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने समर्थकों को चेताया था कि बिहार में सरकार कभी भी गिर सकती है. अक्टूबर तक चुनाव हो सकते हैं. इसलिए एनडीए कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहना चाहिए.
राजनीतिक विरोधि‍यों ने नीतीश कुमार के इस्तीफे को सियासी ढोंग करार दिया है. उन्होंने सवाल उठाया है कि नीतीश ने करारी हार के बाद सहानुभूति पाने के लिए ऐसा किया है. पर उन्हें कोई फायदा नहीं मिलने वाला.



इस्तीफा देकर बोले नीतीश, उम्मीद है अच्छे दिन आएंगे

हम जनमत का सम्मान करते हैं : नीतीश कुमार


इस्तीफे के बाद नीतीश ने कहा, 'मैं चुनाव में हार की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं और मैंने नैतिकता और सिद्दांत के आधार पर अपना इस्तीफा दिया है।'

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद पत्रकारों के सामने आकर अपनी प्रतिक्रिया तो नहीं दी है, लेकिन उन्होंने सोशल साइट 'फेसबुक' पर जनमत के प्रति सम्मान प्रकट किया है। नीतीश ने फेसबुक पर लिखा, 'हम जनमत का सम्मान करते हैं। जय बिहार, जय भारत।' 


 नीतीश ने शाम 5 बजे प्रेस कांफ्रेंस कर अपने इस्तीफे की पुष्टि की। नीतीश ने कहा कि बिहार में अपनी पार्टी का चुनाव का मैं नेतृत्व कर रहा था। जो नतीजे आए उसकी जिम्मेदारी मैं लेता हूं। हमने सारी मर्यादाओं का पालन करते हुए चुनाव लड़ा। नीतीश ने कहा कि पूरा का पूरा चुनावी अभियान में मुद्दों पर चर्चा कम, नीतियों पर बातें कम, आरोप प्रत्यारोप ज्यादा, व्यक्तिगत टिप्पणियां ज्यादा रहा। इस तरह का चुनाव प्रचार मैंने अपने राजनीतिक जीवन में नहीं देखा


विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने हार का ठीकरा नीतीश कुमार पर फोड़ते हुए कहा था कि पार्टी के अंदर अव्यवस्था का बोलबाला है। किसी भी फैसले से पहले विधायकों-मंत्रियों से राय नहीं ली जाती। दो दिन पहले भी कैबिनेट की बैठक में मंत्री रमई राम भीम सिंह और नीतीश मिश्रा आपस में भिड़ गए थे। तीसरी बार बने मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बिहार में यह तीसरा कार्यकाल है। पिछले सात सालों के अलावा वर्ष 2000 में उन्होंने सात दिन के लिए बिहार की बागडोर संभाली थी। इसके बाद वर्ष 2005 में भाजपा के साथ मिलकर उन्होंने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। वर्ष 2010 का चुनाव भी वे भाजपा के साथ मिलकर लड़े और अपार सफलता पाई। लेकिन, बाद में नरेंद्र मोदी की भाजपा में पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में ताजपोशी के बाद उन्होंने राजग से नाता तोड़ लिया था।





Friday, May 16, 2014

बिहार में कौन जीता कौन हारा

News : बिहार में कौन जीता कौन हारा

क्षेत्र     -      हार      -        जीत

सारण -राबड़ी देवी - राजीव प्रताप रूडी

सुपौल -कामेश्वर चौपाल- रंजीता रंजन

पाटलिपुत्र- मीसा भारती - रामकृपाल यादव

गोपालगंज- डा. ज्योति- जनक राम

समस्तीपुर- अशोक कुमार- रामचंद्र पासवान

भागलपुर-शाहनवाज हुसैन -बुलो मंडल

महराजगंज-प्रभुनाथ सिंह- जर्नादन सिग्रिवाल

उजियारपुर -अलोक कुमार मेहता- नित्यानंद राय

मधेपुरा-शरद यादव -पप्पू यादव

दरभंगा-एमएए फातिमी -कीर्ति झा आजाद

सीतामढ़ी - सीताराम यादव- रामकुमार शर्मा

झंझारपुर -देवेद्र यादव- विरेंद्र कुमार चौधरी

पश्चिम चंपारण- प्रकाश झा -संजय जायसवाल

पू. चंपारण अवनीश सिंह राधामोहन सिंह

वाल्मीकि नगर- पूर्णमासी राम- सतीश चंद्र दूबे

बक्सर जगदानंद सिंह अश्वनी चौबे

आरा भगवान सिंह कुशवाहा आरके सिंह

शिवहर शाहिद अली खां रमा देवी

बांका पुतुल कुमारी जय प्रकाश यादव

हाजीपुर राम सुंदर दास रामविलास पासवान

जमुई उदय नारायण चौधरी चिराग पासवान

सासाराम मीरा कुमार छेदी पासवान

काराकाट कांति सिंह उपेंद्र कुशवाहा

औरंगाबाद निखिल कुमार सुशील कुमार सिंह

मधुबनी अब्दुल बार सिद्दीकी हुकुमदेव नारायण

बेगूसराय तनवीर हसन भोला सिंह

पूर्णिया उदय सिंह संतोष कुमार

वैशाली रघुवंश सिंह रामा सिंह

मुजफ्फरपुर अखिलेश सिंह अजय निषाद

खगड़िया दिनेश चंद्र यादव महबूब अली कैसर

पटना साहिब कुणाल शत्रुघ्न सिन्हा

किशनगंज दीलिप जायसवाल असरारूल हक

अररिया प्रदीप चौधरी तस्लीमुद्दीन

गया जितन मांझी हरि मांझी

नवादा राजबल्लभ गिरिराज सिंह

मुंगेर ललन सिंह वीणा देवी




Wednesday, February 5, 2014

Medha Suchi Scam in Bihar



" SARAN " : प्रारंभिक, माध्‍यमिक, उच्‍चतर माध्‍यमिक शिक्षक नियोजन (कैम्‍प 2014) की रिक्ति एवं मेघा सूची








Sunday, March 17, 2013

Bihar SSC : ये कैसी परीक्षाः नहीं हुआ कोई भी फेल, सबने पाई नौकरी


Bihar SSC : ये कैसी परीक्षाः नहीं हुआ कोई भी फेल, सबने पाई नौकरी

न्यूज़  साभार - अमर उजाला (17.3.13)



ये कैसी परीक्षाः नहीं हुआ कोई भी फेल, सबने पाई नौकरी

पीयूष पांडेय / नई दिल्ली| : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में सात वर्ष पहले आयोजित की गई राज्य कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षा में सही और गलत, दोनों जवाब देने वाले अभ्यर्थियों को नौकरी पर रखने का आदेश दिया है। सा‌थ ही नए सिरे से परीक्षा कराने के हाईकोर्ट के आदेश को रद्द भी कर दिया है। 

गौरतलब है कि अगस्त, 2006 बिहार में जूनियर इं‌जीनियर की 220 पोस्ट के लिए राज्य कर्मचारी चयन आयोग ने परीक्षा कराई थी। मूल्यांकन में हुई गड़‌बड़ी के कारण परीक्षा में गलत उत्‍तर देने वाले अभ्यर्थियों को नौकरी पर रख लिया गया और सही उत्‍तर देने वाले नौकरी से वंचित रह गए।
इस मामले में दाखिल एक या‌चिका में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सभी पदों पर नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश दिया था। 
हालांकि, अब सर्वोच्च अदालत ने परीक्षा के बाद जूनियर इंजीनियर नियुक्त हुए गलत जवाब देने वालों को नौकरी से न हटाने का आदेश दिया है। साथ ही सही जवाब देने वालों को भी नियुक्ति करने का निर्देश दिया है। 
सर्वोच्च अदालत ने गलत जवाब देने के बावजूद नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए कहा कि वैकल्पिक प्रश्नों के जवाब में तैयार की गई उत्तर पुस्तिका में सही के स्थान पर गलत उत्तर लिखे जाने की भूल के चलते यह परेशानी खड़ी हुई। 
इसमें गलत और सही जवाब देने वाले अभ्यर्थी पूरी तरह से निर्दोष हैं क्योंकि इस मामले में कोई भी अनियमितता या धोखाधड़ी नहीं की गई। लेकिन उत्तर-पुस्तिका में भूलवश गड़बड़ी होने से गलत जवाब देने वाले अभ्यर्थियों को नौकरी के लिए चुन लिया गया, जबकि सही जवाब देने वाले दुर्भाग्य से बाहर हो गए। 
जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने बिहार में अगस्त 2006 में हुई राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में पटना हाईकोर्ट की ओर से जारी आदेश को दरकिनार कर दिया है। 
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सभी पदों पर नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश दिया था। 
पीठ ने कहा है कि सात साल पहले 220 पदों पर जूनियर इंजीनियर नियुक्त किए जा चुके परीक्षार्थियों को हटाया जाना उचित नहीं होगा। लेकिन सही जवाब देने वाले उन परीक्षार्थियों को भी नियुक्ति किया जाए जो उत्तर पुस्तिका की गलती की वजह से बाहर हो गए थे। 


News Source / Sabhaar : AMAR UJALA (  Last updated on: March 17, 2013 11:28 AM IST) / http://www.amarujala.com/news/samachar/national/patna-high-court-order-was-canceled-by-the-supreme-court/

Saturday, April 28, 2012

Supreme Court Decision regarding Teachers appointment in Bihar


बिहार में प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का आदेश (Supreme Court Decision regarding Teachers appointment in Bihar )



Patna Highcourt cancelled advertisement and recruitment. And after that Supreme court of India reinstate old advertisement and passed order to appoint candidates from old advertisement.

Publised in Jagran - 12-May-2011

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। बिहार में नौकरी की बाट जोह रहे प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को 31 अगस्त तक प्रशिक्षित शिक्षकों के सभी 34540 पदों को भरने का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति अल्तमश कबीर व न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की पीठ ने ये आदेश प्रशिक्षित शिक्षकों की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किए। इस भर्ती के लिए वर्ष 2006 तक प्रशिक्षण पूरा करने वाले लोग आवेदन कर सकते हैं। प्रशिक्षित शिक्षकों में फिजिकल ट्रेंड शिक्षकों को भी शामिल किया जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि भर्ती वरिष्ठता के आधार पर की जाएगी।
बिहार सरकार के वकील मनीष कुमार ने अनुरोध किया कि भर्ती में राज्य की आरक्षण नीति लागू करने की अनुमति दी जाए लेकिन प्रतिपक्षियों को इस पर आपत्ति थी। उनका कहना था कि सभी 34,540 पदों पर भर्ती की जाए और इनमें से आरक्षित कोटे के जो पद खाली रह जाएं उन्हें सामान्य वर्ग से भरा जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात स्वीकार करते हुए कहा कि भर्ती में राज्य की आरक्षण नीति भी लागू होगी लेकिन आरक्षित पदों के रिक्त रह जाने पर उन्हें सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से भरा जाएगा। इस मामले पर कोर्ट आठ सितंबर को फिर सुनवाई करेगा।

बिहार में प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का यह विवाद पुराना है। वर्ष 2003 में राज्य सरकार ने 34,540 पदों पर शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला। इस विज्ञापन में प्रशिक्षित और गैर प्रशिक्षित दोनों तरह के शिक्षकों की भर्ती के आवेदन मंगाए गए थे। भर्ती प्रक्रिया को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और पटना हाईकोर्ट ने भर्ती नियमों को गलत ठहराते हुए विज्ञापन और प्रक्रिया निरस्त कर दी थी।

बाद में सुप्रीमकोर्ट ने राज्य सरकार को रिक्त पदों पर प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती का आदेश दिया। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बावजूद जब राज्य सरकार ने भर्ती नहीं की, तो आवेदन करने वाले कुछ उम्मीदवारों ने राज्य सरकार के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल कर आदेश पर अमल की मांग की है।


Source : http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6407378/

Friday, February 24, 2012

Bihar TET - BETET , Surendra- : Govt. mocked TET Exam

सरकार ने परीक्षा को बना दिया मजाक : सुरेन्द्र(Bihar TET - BETET , Surendra- : Govt. mocked TET Exam)


समस्तीपुर, संसू : इंकलाबी नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि शिक्षा में सुधार का दंभ भरने वाली बिहार के नीतिश-मोदी सरकार ने परीक्षा को मजाक बनाकर रख दिया है। सिर्फ फरवरी में 4 परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक किया गया। 12 फरवरी को नवोदय की परीक्षा, 17 फरवरी एसटीईटी व 18 फरवरी टीईटी परीक्षा के दोनों पाली, 22 फरवरी को मैट्रिक परीक्षा की अंग्रेजी का प्रश्न पत्र जिस तरह से लीक किया गया। इससे पता चलता है कि सरकार का शिक्षा माफिया पर अंकुश नहीं है। लीक मामलों मे सरकार प्रशासन शिक्षा माफिया का नापाक गठजोड़ मजबूती से परीक्षा प्रणाली के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था को चौपट करता जा रहा है। लीक का असर समस्तीपुर में भी देखा जा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि लीक प्रश्न पत्र सही नहीं पाया गया। फिर भी न तो परीक्षा ही रद हुई और न ही संबंधित माफिया व जिम्मेवार प्रशासन शिक्षा विभाग पर कार्रवाई भी नहीं हुई। इससे सरकारी शिक्षा में सुधार का वादा पता चलता है।

News : Jagran (23.2.12)