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बिहारशरीफ : जिले में प्रारंभिक शिक्षक नियोजन की स्थिति काफी लचर रही है।
नियोजन की प्रक्रिया दिसंबर में शुरू हुई थी। तब से लेकर नियोजन संपन्न करने की अंतिम तिथियां लगातार बढ़ती रहीं। सरकार ने अप्रैल में नियोजन पूरी कर लेने का दावा किया था लेकिन जुलाई खत्म होने जा रहा है और फिर भी नियोजन लक्ष्य के विरुद्ध मात्र सात फीसद ने हीं योगदान किया है। जाहिर है अगर यही हालात रहे तो अगले नियोजन प्रक्रिया संपन्न होने में अभी एक दो वर्ष और लग सकते हैं।
इससे सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। जिले में नियोजन के कुल लक्ष्य के विरुद्ध अब तक मात्र सात फीसद शिक्षकों ने ही योगदान किया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार जिले में कुल आवंटित पद 6211 के विरुद्ध 4293 लोगों का नियोजन किया गया जिसके एवज में कुल 972 लोगों ने ही अपना योगदान दिया। शेष पद पर यूं ही खाली पड़े हैं। पंचायतों में इसकी स्थिति और भी दयनीय है। जिले के कुल 249 पंचायतों में 194 पंचायतों से ही अब तक नियोजन की रिपोर्ट भेजी गई है। शेष पंचायत नियोजन इकाईयों ने पूरे नियोजन को शुभ लाभ के चक्कर में लटकाकर घोर लापरवाही का परिचय दिया है। जबकि कई बार शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों द्वारा रिपोर्ट मांगी गई है लेकिन इसका पंचायत प्रतिनिधियों पर कोई खास असर देखने को नहीं मिला। जहां तक नियोजन की बात है तो विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकड़े से स्पष्ट हो जाता है कि नियोजन की प्रक्रिया यहां पर कितनी लचर है। नगर निगम में कुल आवंटित पद 325 के विरुद्ध 197 का नियोजन जिसमें कुल 125 लोगों ने ही योगदान दिया। इसी तरह एकमात्र नगर परिषद के लिए आवंटित पद 107 के विरुद्ध 89 नियोजित किये गये जिसमें मात्र 47 ने ही योगदान किया। इसी तरह तीन नगर पंचायतों में कुल 195 पद आवंटित के विरुद्ध 167 का नियोजन किया गया जिसमें 63 लोगों ने ही योगदान किया। कुल 20 प्रखंडों की जगह 19 प्रखंड में आवंटित पद 3306 के विरुद्ध 2515 नियोजित किये गये इसमें 504 ने ही योगदान दिया। राजगीर प्रखंड का रिपोर्ट किसी त्रुटि की वजह से नहीं भेजी गई है। इसी तरह पंचायत शिक्षक के 249 पंचायतों की जगह 194 पंचायतों का ही रिपोर्ट विभाग को सौंपी गई है। इसके लिए 2278 पद आवंटित के विरुद्ध 1329 का नियोजन किया गया जिसमें 233 ने ही योगदान किया। शेष 54 पंचायतों का रिपोर्ट अभी तक ठंडे बस्ते में कैद है। इस तरह से यदि आंकड़े पर गौर किया जाये तो अब तक नियोजितों में से मात्र 22 फीसद ही अभ्यर्थी ने शिक्षक पद पर योगदान किया है।
क्या कहते हैं अधिकारी
एक उम्मीदवारों द्वारा कई जगहों से आवेदन करने से समस्या को बढ़ावा मिला है।
दरअसल यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है कि आखिर कितने अभ्यर्थी कहां से आवेदन किए हैं तथा वे अंतिम रूप से योगदान कब कर पाएंगे। वैसे समय सीमा निर्धारित कर दी गई है। समय से योगदान नहीं करने वालों का नियोजन रद किया जा सकता है।
-देवशील
जिला शिक्षा पदाधिकारी, बिहारशरीफ
News Sabhaar : Jagran (20.8.13)
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When there is No Centralized Recruitment System happens, Such problems arises.
In The Age of Computer / Information Technology, Even Simple Websites / Banks provided Online Facility then why it not happens in State Government Recruitment.
Even Central Government adopted ONLINE SYSTE for UPSC / SSC examination then Why State Government failed to adopt such system.
A similar problem arises in UP LT Grade Female Teacher Recruitment System in 2011, Candidates applies in many Mandals / Zones in form of hardcopy application.
And their is no Online System, and therefore many candidates don't know actual happenings and ignorant of cut-off of other Mandals.
And conslling takes many rounds and might be not completed in 2 years.
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